कांग्रेस को न दलितों की इज़्ज़त करनी आती है और न ही आदिवासियों का सम्मान :- गौरव भाटिया
मेट्रो मत न्यूज़ :- ( संवाददाता सरिता साहनी ) राष्ट्रपति पद पर बैठीं देश की पहली आदिवासी महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कांग्रेस पार्टी की सोच को दलित, आदिवासी और महिला विरोधी करार दिया। गौरव भाटिया ने कहा — खड़गे जी ने महामहिम राष्ट्रपति को ‘मुर्मा जी’ कहा और पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी को ‘कोविड’ कहा। क्या ये सिर्फ़ बोलचूक है या कांग्रेस की गहरी नफरत का इज़हार? उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के नेताओं ने ऐसे शब्द कहे हों। अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर अपमानित किया। उदित राज ने राष्ट्रपति पर अमर्यादित टिप्पणी की। अब खड़गे जी ने राष्ट्रपति को "भू-माफिया" कह डाला — यह कहकर कि वे ज़मीन और जंगल छीनने के लिए राष्ट्रपति बनी हैं। भाटिया ने कहा कि यह सिलसिला केवल एक नेता तक सीमित नहीं है। यह कांग्रेस की पुरानी सोच है — जो यह मानती है कि अगर कोई ग़रीब, दलित या आदिवासी देश के सबसे बड़े पद पर पहुंचे, तो उसे अपमानित करना चाहिए। जब कोई महिला, वो भी आदिवासी समाज से, मेहनत करके राष्ट्रपति पद तक पहुंचती है — कांग्रेस के नेताओं को वह सहन नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व एक ही परिवार की चापलूसी में इतना लिप्त है कि उन्हें संविधान की गरिमा, महिलाओं का सम्मान और समाज के कमजोर वर्गों की प्रतिष्ठा की कोई परवाह नहीं।
भाटिया ने कांग्रेस से सवाल किया —
क्या मल्लिकार्जुन खड़गे देश से लिखित माफ़ी मांगेंगे? क्या राहुल गांधी इस पर चुप्पी तोड़ेंगे? या कांग्रेस अपनी आदत के अनुसार इस अपमान को भी छिपाने की कोशिश करेगी? पूरा देश कर रहा है निंदा गौरव भाटिया ने कहा कि आज भारत का हर नागरिक, खासकर दलित, आदिवासी और महिलाएं, इस टिप्पणी से आहत हैं। देश के लोगों ने स्पष्ट रूप से कांग्रेस की इस मानसिकता को नकार दिया है।जब कोई ग़रीब, आदिवासी महिला देश के सबसे ऊँचे पद तक पहुंचती है, तो वह भारत के लोकतंत्र की जीत होती है। लेकिन कांग्रेस जैसी पार्टियां उस जीत को अपमानित करके संविधान और समाज दोनों का अपमान कर रही हैं। अब समय आ गया है कि जनता ऐसे बयानों का जवाब लोकतांत्रिक तरीक़े से दे।